राजस्थान में नए राज्य बनाने का जिसका नाम मरुप्रदेश है राजस्थान में
औद्योगिक विकास में बुनियादी दोष है कि उद्योग केवल आठ जिलों में
केंद्रित है. इन जिलों में जयपुर, अलवर, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, उदयपुर,
कोटा एवं जोधपुर हैं.आज राजस्थान के हर उधोग 'इन में ही लाया जा रहा है
.बाकि जिले तो ऐसे लग रहे है कि जैसे को पाकिस्थान का इलाका हो.
मरुप्रदेश के नो जिलो बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, गंगा नगर, हनुमानगढ़,
जैसलमेर, झुनझुनु,नागौर, सीकर,ओसियां (जोधपुर की तहसील) जिलो कि करीब
२.५० करोड़ जनता न्याय के लिए तरस रही है .
अलग प्रदेश बनाने की तब उठती है ,जब उस प्रदेश में उस इलाके का ठीक
प्रकार से विकास न हुआ हो ..मरुप्रदेश की मांग आजादी के समय से शुरू हुयी
थी ..उस समय आजाद भारत में विलय करने वालो सबसे पहली रियासत बीकानेर थी
,लेकिन उसी समय राजस्थान बनाया गया तो आखिर तक बीकानेर रियासत ने विलय
स्वीकार नही किया था कि राजस्थान बहुत बड़ा प्रदेश बन रहा है ..हमारे
राज्य कि भोगोलिक स्थिति ,जलवायु ,रहन-सहन ,पहनावा ,भाषा बकी बचे हुए
राजस्थान से किसी भी तरह नही मिलता है. और इसलिए हमारे राज्य से विकास
नही होगा इसके लिए बीकानेर राज्य के मंत्री प्रताप सिंह ने राजस्थान के
विलय के विरोध में आन्दोलन भी चलाया था ...लेकिन सरदार बल्लभ भाई पटेल जी
के कहने पर कि "आज देश को विकास की नही ,एकता की जरुरत है " और आश्वासन
दिया कि जब भी नये प्रदेश बनेगे तब आप का प्रदेश बना दिया जायेगा ...
1956 में फिर भारत सरकार को मरुप्रदेश के लिए ज्ञापन दिया गया..लेकिन
भारत सरकार ने यह कहकर रद्ध कर दिया गया कि अगर मरुप्रदेश बनाया गया तो
यह राज्य आर्थिक रूप से कमजोर रहेगा एवम इस राज्य कि पाकिस्थान के साथ
100 मील लम्बा बोर्डर लगता है इसलिए बोर्डर कि सुरक्षा नही रहेगी ..
आखिर कब तक हम इंतजार करेगे,विकास का...
** राजस्थान में उधोग जयपुर,अलवर,अजमेर,पाली,भीलवाडा, उदयपुर और जोधपुर
में ही सकेद्रित है..
(योजना आयोग,भारत सरकार 2006 की रिपोर्ट )
** मरुप्रदेश का ओद्योगिक उत्पादन-200 करोड़ रूपये और बचे हुए राजस्थान
का 1100 करोड़ रूपये..यह भारी क्षेत्रीय असंतुलन है..
** मरुप्रदेश के जिलो में कोई अंतराष्ट्रीय या नियमित वायुपतन और एयर
कार्गो कोम्प्लेक्स नही है....
** मरुप्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाए अल्...प है और कुपोषण भी है...
** मरुप्रदेश में कोई भारतीय प्रबंधन संस्थान(IIT), भारतीय प्रोधोगिकी
संस्थान(IIT),एम्स,सेनिक स्कूल,सेनिक हॉस्पिटल,खेल-कूद आकादमी,हेबिटेट
सेंटर आदि नही है ..
** मरुप्रदेश में कोई राष्ट्रीय सड़क मार्ग भी नही है ..
** मरुप्रदेश में बाजार,विधुत,शीत भंडार गृह,बैंको आदि की कमी है....
क्यों है....ये असमानता ..........?????????
भारतीय फौज में सर्वाधिक फौजी मरुप्रदेश से है , बलिदान भी मरुप्रदेश के
ज्यादा होते है ,बा-वजूद इसके मरुप्रदेश के वे शहर ग्राम
उन सुविधाओ से भी वंचित है जो सामन्यतया होनी चाहिए !क्या मरुप्रदेश के
युवा इसीलिए अपनी जवानी और जान, ... देश पर कुर्बान करते है कि वे जिन्दा
रहे तो बुढ़ापे में, और देश के काम आ गये तो उनका परिवार सामान्य सुविधाओ
को भी तरसता रहे?
किसी ने सुध ली है उन जगहों कि,जहा पर हमारे देश के सेनिक पैदा हुए है !!
" जय मरुप्रदेश - जय भारत "
regards :- pankaj kumar sigar
Vice president at Marupradesh nirman chatr morcha
+918885300320
औद्योगिक विकास में बुनियादी दोष है कि उद्योग केवल आठ जिलों में
केंद्रित है. इन जिलों में जयपुर, अलवर, अजमेर, पाली, भीलवाड़ा, उदयपुर,
कोटा एवं जोधपुर हैं.आज राजस्थान के हर उधोग 'इन में ही लाया जा रहा है
.बाकि जिले तो ऐसे लग रहे है कि जैसे को पाकिस्थान का इलाका हो.
मरुप्रदेश के नो जिलो बाड़मेर, बीकानेर, चुरू, गंगा नगर, हनुमानगढ़,
जैसलमेर, झुनझुनु,नागौर, सीकर,ओसियां (जोधपुर की तहसील) जिलो कि करीब
२.५० करोड़ जनता न्याय के लिए तरस रही है .
अलग प्रदेश बनाने की तब उठती है ,जब उस प्रदेश में उस इलाके का ठीक
प्रकार से विकास न हुआ हो ..मरुप्रदेश की मांग आजादी के समय से शुरू हुयी
थी ..उस समय आजाद भारत में विलय करने वालो सबसे पहली रियासत बीकानेर थी
,लेकिन उसी समय राजस्थान बनाया गया तो आखिर तक बीकानेर रियासत ने विलय
स्वीकार नही किया था कि राजस्थान बहुत बड़ा प्रदेश बन रहा है ..हमारे
राज्य कि भोगोलिक स्थिति ,जलवायु ,रहन-सहन ,पहनावा ,भाषा बकी बचे हुए
राजस्थान से किसी भी तरह नही मिलता है. और इसलिए हमारे राज्य से विकास
नही होगा इसके लिए बीकानेर राज्य के मंत्री प्रताप सिंह ने राजस्थान के
विलय के विरोध में आन्दोलन भी चलाया था ...लेकिन सरदार बल्लभ भाई पटेल जी
के कहने पर कि "आज देश को विकास की नही ,एकता की जरुरत है " और आश्वासन
दिया कि जब भी नये प्रदेश बनेगे तब आप का प्रदेश बना दिया जायेगा ...
1956 में फिर भारत सरकार को मरुप्रदेश के लिए ज्ञापन दिया गया..लेकिन
भारत सरकार ने यह कहकर रद्ध कर दिया गया कि अगर मरुप्रदेश बनाया गया तो
यह राज्य आर्थिक रूप से कमजोर रहेगा एवम इस राज्य कि पाकिस्थान के साथ
100 मील लम्बा बोर्डर लगता है इसलिए बोर्डर कि सुरक्षा नही रहेगी ..
आखिर कब तक हम इंतजार करेगे,विकास का...
** राजस्थान में उधोग जयपुर,अलवर,अजमेर,पाली,भीलवाडा,
में ही सकेद्रित है..
(योजना आयोग,भारत सरकार 2006 की रिपोर्ट )
** मरुप्रदेश का ओद्योगिक उत्पादन-200 करोड़ रूपये और बचे हुए राजस्थान
का 1100 करोड़ रूपये..यह भारी क्षेत्रीय असंतुलन है..
** मरुप्रदेश के जिलो में कोई अंतराष्ट्रीय या नियमित वायुपतन और एयर
कार्गो कोम्प्लेक्स नही है....
** मरुप्रदेश में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाए अल्...प है और कुपोषण भी है...
** मरुप्रदेश में कोई भारतीय प्रबंधन संस्थान(IIT), भारतीय प्रोधोगिकी
संस्थान(IIT),एम्स,सेनिक स्कूल,सेनिक हॉस्पिटल,खेल-कूद आकादमी,हेबिटेट
सेंटर आदि नही है ..
** मरुप्रदेश में कोई राष्ट्रीय सड़क मार्ग भी नही है ..
** मरुप्रदेश में बाजार,विधुत,शीत भंडार गृह,बैंको आदि की कमी है....
क्यों है....ये असमानता ..........?????????
भारतीय फौज में सर्वाधिक फौजी मरुप्रदेश से है , बलिदान भी मरुप्रदेश के
ज्यादा होते है ,बा-वजूद इसके मरुप्रदेश के वे शहर ग्राम
उन सुविधाओ से भी वंचित है जो सामन्यतया होनी चाहिए !क्या मरुप्रदेश के
युवा इसीलिए अपनी जवानी और जान, ... देश पर कुर्बान करते है कि वे जिन्दा
रहे तो बुढ़ापे में, और देश के काम आ गये तो उनका परिवार सामान्य सुविधाओ
को भी तरसता रहे?
किसी ने सुध ली है उन जगहों कि,जहा पर हमारे देश के सेनिक पैदा हुए है !!
" जय मरुप्रदेश - जय भारत "
regards :- pankaj kumar sigar
Vice president at Marupradesh nirman chatr morcha
+918885300320
No comments:
Post a Comment